कुशीनगर।
पूर्वांचल गांधी के नाम से विख्यात डॉ. संपूर्णानंद मल्ल ने राष्ट्रपति महोदया को पत्र भेजकर वर्तमान व्यवस्था को अंग्रेजों से भी क्रूर और लुटेरी बताते हुए जीवन, लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए सत्याग्रह का ऐलान किया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि सत्ता और व्यवस्था ने जनता के मौलिक अधिकारों को कुचल डाला है और गरीब-मजदूर-किसान को जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

डॉ. मल्ल ने लिखा कि शिक्षा, चिकित्सा और जीवनोपयोगी वस्तुएँ (आटा, चावल, दाल, तेल, चीनी) निशुल्क व सार्वभौमिक उपलब्ध होनी चाहिए। साथ ही हर क्षेत्र में एक विद्यालय और एक चिकित्सालय की व्यवस्था अनिवार्य है। उन्होंने पेट्रोल-डीजल, घरेलू गैस और दोपहिया वाहन पर टोल टैक्स को आम जनता के शोषण की संज्ञा देते हुए समाप्त करने की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि आज विधायिका और कार्यपालिका में ऐसे लोग पहुँच जाते हैं जिन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों की समझ तक नहीं होती, और वे जनता की गाढ़ी कमाई व टैक्स पर विलासिता का जीवन जीते हैं। भ्रष्टाचार, वोट खरीद-बिक्री और अपराधी प्रवृत्तियों ने सिस्टम की जड़ें खोखली कर दी हैं।
राष्ट्रपति से अपने आग्रह में डॉ. मल्ल ने संविधान की आत्मा के अनुरूप कदम उठाने की माँग रखी है। इनमें जीवनोपयोगी वस्तुओं की सब्सिडी व्यवस्था, कर प्रणाली में पारदर्शिता, विधायिका-कार्यपालिका की जवाबदेही तय करने के लिए कठोर लोकपाल, और सरकारी कार्यों का खुला लेखा-जोखा शामिल है।
पूर्वांचल गांधी ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य हिंसा या अव्यवस्था नहीं, बल्कि सत्य, अहिंसा और संविधान के आदर्शों को पुनर्जीवित कर एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करना है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मौलिक अधिकार बहाल नहीं हुए तो वे सत्याग्रह के मार्ग पर चलने को बाध्य होंगे।
यह पत्र 1 अक्टूबर को शांतिवन शोध पुस्तकालय गोरखपुर से राष्ट्रपति को प्रेषित किया गया।
✍ रिपोर्ट : [के एन साहनी]