📰 विशेष विश्लेषण

बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर – प्रशासन की लापरवाही से बिगड़ रही स्वास्थ्य व्यवस्था
📍 गोरखपुर से के एन साहनी की विशेष रिपोर्ट
🖋️ भूमिका
पूर्वांचल का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जहां से प्रदेश सरकार बार-बार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करती है, वास्तविकता में कई गंभीर खामियों से जूझ रहा है। दिन में अनुशासन और व्यवस्था का आभास मिलता है, लेकिन रात के अंधेरे में तस्वीर बिल्कुल अलग होती है।


🔴 रात में लंबी कतारें – परिजनों की परीक्षा
- रात में काउंटर पर घंटों लंबी लाइनें।
- 4-5 घंटे खड़े रहने से परिजन मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाते हैं।
- सवाल उठता है कि रात में स्टाफ और सुविधा क्यों कम पड़ जाती है।
⚠️ वार्ड शिफ्टिंग में “फिक्स रेट” का खेल
“100 रुपये देकर ही मरीज को वार्ड तक ले जाया जाता है”
महिला वार्ड कर्मी और स्टाफ खुलेआम मरीज शिफ्टिंग के लिए पैसे वसूलते हैं। यह मजबूरी परिजनों का शोषण है और अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही पर बड़ा सवाल है।
📉 सरकार की मेहनत पर पानी
सरकार लगातार मेडिकल कॉलेज और नई स्वास्थ्य योजनाओं में करोड़ों खर्च कर रही है। लेकिन
- प्रशासनिक निगरानी के अभाव में यह मेहनत आम जनता तक नहीं पहुंच पा रही।
- कुशीनगर, देवरिया जैसे जिलों से सबसे ज्यादा मरीज गोरखपुर आते हैं।
- स्थानीय स्तर पर कार्डियोलॉजी, आईसीयू और निःशुल्क दवा की सुविधा हो तो अनावश्यक रेफर रुक सकते हैं।
🦟 स्वच्छता और मच्छरों का आतंक
मुख्य द्वार के आस-पास गंदगी और जहरीले मच्छरों की भरमार। फॉगिंग और सफाई की कमी मरीजों को डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे में डाल रही है।
📌 समाधान क्या है? (हाइलाइट बॉक्स)
✅ रात में भी पर्याप्त स्टाफ व टोकन सिस्टम
✅ निःशुल्क स्ट्रेचर और व्हीलचेयर सुविधा अनिवार्य
✅ अस्पताल परिसर में नियमित फॉगिंग व सफाई
✅ रात में ड्यूटी मजिस्ट्रेट / नोडल अधिकारी की तैनाती
✅ कुशीनगर, देवरिया में मिनी-आईसीयू व कार्डियोलॉजी यूनिट
📢 संदेश
अगर प्रशासन ने रात की व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर पारदर्शिता बढ़ाई, तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज पूर्वांचल में मरीजों के लिए भरोसेमंद संस्थान बन सकता है। अन्यथा यह अस्पताल जनता के लिए भय और शोषण का केंद्र बना रहेगा।