मधुसूदन विस्वास: बंगाल से कुशीनगर तक, सेवा और संघ के मार्ग पर समर्पित जीवन


मधुसूदन विस्वास: बंगाल से कुशीनगर तक, सेवा और संघ के मार्ग पर समर्पित जीवन

कुशीनगर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम आते ही जिस निष्ठा, अनुशासन और राष्ट्र सेवा की भावना का चित्र उभरता है, उसका एक सजीव उदाहरण हैं मधुसूदन विस्वास। मूल रूप से पश्चिम बंगाल के निवासी विस्वास जी ने वर्ष 2001 में कुशीनगर आगमन के बाद यहां अपनी एक अलग पहचान बनाई।

बंगाल से कुशीनगर तक की यात्रा

साधारण परिवार से आने वाले मधुसूदन विस्वास का जीवन हमेशा से सेवा और समाज के प्रति समर्पित रहा। बंगाल से कुशीनगर आने के बाद उन्होंने बनवारी टोला चौराहे पर अपना ठिकाना बनाया। यहां पर उन्होंने न केवल आमजन से जुड़ाव बढ़ाया बल्कि उनके सुख-दुख में साथ खड़े होकर लोगों का विश्वास भी जीता।

क्लिनिक बना सेवा का केंद्र

विस्वास जी ने कसया में एक छोटा क्लिनिक खोलकर जरूरतमंदों की मदद शुरू की। गरीब और असहाय मरीजों को दवा और प्राथमिक उपचार देकर उन्होंने यह साबित किया कि सेवा ही सर्वोपरि है। लोगों का कहना है कि “जहां सरकारी मदद देर से पहुँचती, वहां विस्वास जी सबसे पहले खड़े मिलते हैं।”

2011 से संघ की राह पर

वर्ष 2011 से उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से औपचारिक रूप से शुरू हुआ। कसया नगर की शाखा पर आयोजित बैठकों में उन्होंने हिन्दू समाज को जागरूक और संगठित करने का कार्य किया।
उनका कहना है कि “संघ केवल संगठन नहीं, बल्कि जीवन जीने की प्रेरणा है। जब तक हिन्दू समाज जागरूक और संगठित नहीं होगा, तब तक राष्ट्र का वास्तविक विकास संभव नहीं।”

समाज में पहचान

लगातार दो दशकों से कुशीनगर की धरती पर सक्रिय रहकर मधुसूदन विस्वास ने कसया नगर और आसपास के क्षेत्र में समाजसेवा और संघ के कार्यों के लिए एक मजबूत पहचान बनाई है। लोग उन्हें न केवल स्वयंसेवक, बल्कि एक मार्गदर्शक और सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानते

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