राष्ट्रपति भवन को संबोधित पत्र: “जवाबदेहीहीन लोकतंत्र पर सवाल”

गोरखपुर, 1 अगस्त 2025।
शांतिवन शोध पुस्तकालय की ओर से के.एन. साहनी द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदया को एक भावनात्मक पत्र भेजा गया, जिसमें अभिव्यक्ति की आज़ादी, लोकतांत्रिक जवाबदेही और शिक्षा व्यवस्था की प्राथमिकता जैसे विषयों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
पत्र में उन्होंने लिखा है:
“मेरे पत्रों का जवाब नहीं मिलेगा तो मेरी ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ यूं ही मर जाएगी।”
“भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की फांसी रुकवाने के लिए लोग वायसराय इरविन को पत्र लिखते थे, पर वायसराय हाउस जवाब नहीं देता था। अब 95 वर्षों बाद ‘प्रेसिडेंट हाउस’ भी वही चुप्पी साधे बैठा है।”
उन्होंने लोकतंत्र में संवादहीनता को ‘लोकतंत्र की मां की पीड़ा’ बताया और मौजूदा व्यवस्था में जवाबदेही के अभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की। पत्र में यह भी मांग की गई है कि धार्मिक एवं मद्य संरचनाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य से जोड़ा जाए:
“मंदिर, मस्जिद और मदिरालय बढ़ते जा रहे हैं, जबकि विद्यालय बंद हो रहे हैं। मंदिरों-मस्जिदों को विद्यालयों में और मदिरालयों को चिकित्सालयों में बदल देना चाहिए।”
पत्र की एक प्रति मानव संसाधन विकास मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और सर्वोच्च न्यायालय को भी भेजी गई है।
पत्र के अंत में उन्होंने तीव्र किन्तु सम्मानजनक स्वर में लिखा:
“परम सम्मान देते हुए… आग, पानी, तेल, अंधविश्वास और विज्ञान – ये सब एक साथ नहीं रह सकते।”
इस पत्र के माध्यम से लेखक ने सरकार और नागरिक समाज दोनों से संवाद, जवाबदेही और शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की अपील की है।
रिपोर्ट: के.एन. साहनी
स्थान: गोरखपुर, उत्तर प्रदेश