
पूर्वांचल गांधी डॉ. संपूर्णानंद का आमरण अनशन छठवें दिन पहुँचा, स्वास्थ्य बिगड़ने पर जिला अस्पताल में भर्ती
गोरखपुर / नई दिल्ली | विशेष संवाददाता
“कितना लिखेंगे, कब तक लिखेंगे? पत्थर भी घबरा जाए ऐसे लेख पढ़कर।”
परंतु संवेदनहीन व्यवस्था को शायद संवेदना की भाषा समझ नहीं आती।
डॉ. संपूर्णानंद मल्ल, जिन्हें पूर्वांचल गांधी के नाम से जाना जाता है, बीते छह दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं, और शनिवार सुबह तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जिला चिकित्सालय गोरखपुर के प्राइवेट वार्ड, कक्ष संख्या दो में भर्ती कराया गया।
उनकी मांग है कि यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) और दी दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर (DDU) उनके शैक्षिक और व्यावसायिक जीवन से जुड़े अन्यायपूर्ण निर्णयों का जवाब दें। उन्होंने वर्ष 2008 में UGC से NET (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण की, और इसी के आधार पर शिक्षण क्षेत्र में कार्यरत रहे, लेकिन उनका आरोप है कि DDU विश्वविद्यालय ने उन्हें जानबूझकर “अयोग्य” ठहरा दिया और उनके अनुमोदन और भुगतान को पिछले 17 वर्षों से रोका गया है।
“मेरा अतीत 2008 या तो DDU विश्वविद्यालय वापस कर दे या यूजीसी,”
उन्होंने कहा, “सत्यपथ ही मेरा मार्ग है, और मुझे सत्यनिष्ठ न्याय चाहिए।”
डॉ. संपूर्णानंद ने राष्ट्रपति, राज्यपाल और यूजीसी अध्यक्ष से मांग की है कि NET की वैधता को लेकर कोई भी विवि निर्णय नहीं ले सकता, और यदि विवि ऐसा करता है, तो 30 अगस्त 2003 से उन्हें प्रोफेसर पद पर नियुक्त करते हुए वेतन सहित सभी बकाया भुगतान किया जाए।
उन्होंने SSP गोरखपुर से DDU विश्वविद्यालय के खिलाफ आपराधिक अभियोग दर्ज करने का भी अनुरोध किया है, जिसे उन्होंने ‘मेरे शैक्षिक जीवन की हत्या’ कहा है।
डॉ. मल्ल, इतिहास और पुरातत्व के गहन शोधकर्ता रहे हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की है और जेआरएफ भी प्राप्त किया था। उनका कहना है कि यह अन्याय न केवल उनके जीवन को, बल्कि उनके बच्चों के भविष्य को भी बर्बाद कर चुका है।
“मेरी शिक्षा, मेरी जीविका और मेरे बच्चों का भविष्य दफन कर दिया गया है,”
उन्होंने भर्राए गले से कहा।
वर्तमान में उनका स्वास्थ्य चिंताजनक बना हुआ है, और प्रशासन की ओर से कोई ठोस आश्वासन अब तक नहीं मिला है।
क्या इतने गंभीर आरोपों और स्वास्थ्य संकट के बाद भी यूजीसी और विश्वविद्यालय आंख मूंदे बैठा रहेगा?
डॉ. संपूर्णानंद मल्ल
प्रथम श्रेणी पी.जी., यूजीसी नेट, जेआरएफ,
पीएचडी इन आर्कियोलॉजी (दिल्ली यूनिवर्सिटी),
पूर्वांचल गांधी
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रिपोर्ट: काशीनाथ,
सच्ची रिपोर्ट टीम | कुशीनगर-गोरखपुर