शांतिवन शोध पुस्तकालय 28 जून 2025’महामहिम राष्ट्रपति महोदया’

“यदि RSS पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो संविधान विरोधी नफरती बयान जो इस महान मुल्क को केंचुए की तरह कमजोर कर रहा है, समाप्त हो जाएगा”

‘परम सम्मान के साथ’
समाजवादी’धर्मनिरपेक्ष’ के औचित्य पर बहस’महान संविधान’की’आत्मा समानता’पर प्रहार है”इस पर सवाल उन लोगों ने खड़ा किए हैं जो दूसरे की कमाई खाते हैँ जिन्हें समाज हरामखोर’कहता है.भगत सिंह का ‘समाजवाद यही है जो काम नहीं करेगा वह भी खाएगा परंतु एक ऐसी व्यवस्था होगी जिसमें कोई किसी का शोषण नहीं कर सकेगा”
समाजवादी’पंथनिरपेक्षता ‘हृदय का रसायन’
‘समाजवादी पंथनिरपेक्षता लोगों के हृदय का रसायन है माना संविधान से इसे हटा दोगे लोगों के खून से इसे कैसे हटाओगे क्योंकि हर आदमी के खून में है खून कैसे बदलोगे”
RSS’ मुस्लिम लीग का काउंटर रिएक्शन
में उदित एक अलगाववादी संगठन है परंतु RSS का ढांचा स्वतः एक समाजवादी व्यवस्था है RSS के कार्यकर्म समाजवादी व्यवस्था का ही अनाज खाते हैं।
‘वर्थलेस बहस’
जीवन’शिक्षा चिकित्सा’पर बहस करो
इस वर्थलेस बहस को मैं कांग्रेस और मुसलमान के पतन के प्रयास के रूप में देखता हूं. 1976 में संविधान के 42 में संशोधन में समाजवादी पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया परंतु यह दोनों ही विचार हर हिंदुस्तानी के दिल का विचार है।ग्रेट ‘वार ऑफ इंडिपेंडेंस’ 1857′ सेकुलरिज्म का नायाब उदाहरण है जिसमें हिंदू मुसलमान दोनों की तलवारें अंग्रेजों से बाज रही
बिना श्रम हराम का अनाज खाने वाले करोड़ो सम्मानित माननीय नफरती बहस को त्याग कर यह सोचे कि 5 किलो अनाज में जीवन की तलाश करते 80 करोड़ कंगाल एवं 22 करोड़ कुपोषितों को अमीरों एवं माननीय के बराबर कैसे किया जाए? गरीब अमीर सभी एक विद्यालय में साथ-साथ पढ़े एक चिकित्सालय में इलाज हो और एक ट्रेन में बैठकर यात्रा करें और जब तिरंगा एक’ है संविधान एक’ है देश एक’ है तो सबके लिए एक वेतन एक पेंशन की नीति लागू की जाए
सोशलिज्म’सेक्युलरिज्म’
जीवंत अवधारणा
सोशलिज्म’एवं सेक्युलरिज्म’कोई लकड़ी’ पत्थर’बालू’ ईंट या निर्जीव पदार्थ नहीं है यह तो जीवन से जुड़ी अवधारणा है धनी अमीर कोई भी हो ‘समाजवाद एवं समानता’की तरंगे उनके दिलों में उठती रहती है। ‘प्रारंभिक मानव समाज समाजवादी व्यवस्था का उत्तम उदाहरण है परंतु समाजवाद का व्यावहारिक रूप एवं विचार”HSRA एवं सचिंद्र सान्याल चंद्रशेखर आजाद विजय कुमार सिन्हा जयदेव कुंदन लाल गुप्ता भगत सिंह बिस्मिल अशफ़ाकउल्ला खान रोशन सिंह भगवती चरण बोहरा शिव वर्मा आचार्य नरेंद्र देव जवाहरलाल सुभाष शास्त्री ने दिया। वे स्वतः समाजवाद थे.
अलगाववादी RSS के पेट से निकली फासिस्ट BJP
अलगाववादी RSS के पेट से निकली फासिस्ट BJP यह क्या कर रही है?आरएसएस के सेकंड नंबर के बड़े चेहरे दत्तात्रेय ने इमरजेंसी में संविधान में जोड़े गए समाजवादी’ धर्मनिरपेक्ष’ पर सवाल खड़ा किया। फासिस्ट भाजपा के फासिस्ट प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी जो गोडसे द्वारा गांधी की हत्या का औचित्य स्वीकार करते है, जागरण के पृष्ठ 15 पर इनके बयान छपे हैं। अंग्रेजों की चाटुकारिता एवं पंथीय नफरत से निकली RSS और RSS से पैदा भाजपा के नेता समाजवादी पंथनिरपेक्ष शब्द पर प्रश्न खड़ा कर सकते हैं परंतु मेरा विचार है सरकार के मंत्री शिवराज सिंह “संविधान से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द हटाए जाएं”की भाषा पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
समाजवादी व्यवस्था’एवं पंथनिरपेक्षता’को दमित करने वाली भाजपा संविधान से समाजवादी पंथनिरपेक्ष शब्द हटाकर अपने औचित्य को सिद्ध करना चाहती है जो गांधी पटेल नेहरू अंबेडकर सुभाष भगत सिंह कलाम एवं 140 करोड लोगों के लिए भारत अच्छा नहीं है।
‘RSS भाजपा और सभी दलों में ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनके बारे में इतना ही मैं कह सकता हूं कि यदि समाजवाद सेक्युलरिज्म’ संविधान’लोकतंत्र’न होता तो कोई चाय बेचता’गुंडा’अपराधी होता

प्रति:- परम सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय सांसद गण मंत्री राज्यपाल मुख्यमंत्री

पूर्वांचल गांधी
9415418263

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