गोरखपुर (चौरीचौरा)।
दो वर्षों से इंसाफ की आस में दर-दर भटक रही पीड़िता इसरावती अब न्याय व्यवस्था से पूरी तरह टूट चुकी है। चौरीचौरा थाना क्षेत्र की इस महिला ने कई बार पुलिस से शिकायत की, लेकिन न तो कोई गिरफ्तारी हुई और न ही एफआईआर में नामजद आरोपियों को जेल भेजा गया। उल्टा अब वही आरोपी अदालत में पेश हो रहे हैं और उन्हें अंतरिम ज़मानत मिल रही है।



पीड़िता इसरावती देवी पत्नी रामप्यारे निवासी पोखर भींडा थाना चौरी चौरा जनपद गोरखपुर ने बताया कि न्यायालय द्वारा समय-समय पर आरोपी सचिन, नवरंग, आकाश, विकास और जगरनाथ के विरुद्ध नोटिस, समन, बीडब्ल्यू (बाउंड ओवर वारंट) व एनबीडब्ल्यू (गैर जमानती वारंट) जारी हुए, लेकिन पुलिस ने उन पर अमल करना उचित नहीं समझा। परिणामस्वरूप आरोपियों का मनोबल बढ़ता गया और वे न्यायालय में बेधड़क हाजिर होने लगे।
इसरावती का आक्रोश:
“अगर पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती, तो ये दिन नहीं देखना पड़ता। क्या कानून सिर्फ गरीब और कमजोर पर ही चलता है? क्या दरोगा का विवेक सिर्फ तब जागता है जब कोई दबाव न हो?” – इसरावती का यह तीखा सवाल आज पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।
इस केस की निष्क्रियता अब केवल एक पीड़िता की हार नहीं, बल्कि पूरे न्याय तंत्र की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न बन चुकी है। पीड़िता आज भी न्यायालय से उम्मीद लगाए बैठी है, लेकिन वह यह भी पूछ रही है कि जब थाने का दरवाजा बंद हो जाए, तो इंसाफ कैसे मिलेगा?
अब सवाल यह है:
क्या चौरीचौरा थाने की लापरवाही के कारण न्याय प्रक्रिया बाधित हुई?
क्या पुलिस की निष्क्रियता से आरोपियों को कोर्ट से राहत मिली?
जरूरत है जवाबदेही की, क्योंकि जब न्याय का रास्ता पुलिस से होकर गुजरता है और वही रास्ता बंद हो जाए, तो आम जनता कहां जाएगी?
रिपोर्ट :के एन सहानी गोरखपुर