पूर्वांचल गांधी ने महा महिम राज्यपाल को श्रीमान जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा प्रेषित ज्ञापन में कहा विश्वविद्यालय के विरुद्ध सत्याग्रह रोकने के लिए बार-बार हाउस अरेस्ट कर प्रशासन विश्वविद्यालय द्वारा कारित ‘अपराध’ संरक्षित कर रहा है.

डा0 सम्पूर्णानंद मल्ल

पूर्वांचल गांधी ने महा महिम राज्यपाल को श्रीमान जिलाधिकारी गोरखपुर द्वारा प्रेषित ज्ञापन में कहा विश्वविद्यालय के विरुद्ध सत्याग्रह रोकने के लिए बार-बार हाउस अरेस्ट कर प्रशासन विश्वविद्यालय द्वारा कारित ‘अपराध’ संरक्षित कर रहा है

रिपोर्ट: विशेष संवाददाता
स्थान: गोरखपुर

पूर्वांचल गांधी के नाम से चर्चित डॉ. संपूर्णानंद मल्ल ने 6 जून 2025 को महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश को प्रेषित ज्ञापन द्वारा जिलाधिकारी गोरखपुर अपने शैक्षणिक और नैतिक संघर्ष की दुबारा याद दिलाई है। उन्होंने सवाल उठाया है कि उनके पास प्रथम श्रेणी पी.जी’ UGC NET’ JRF ASI’ और विख्यात इतिहास विभाग देलही यूनिवर्सिटी की पीएचडी है तब भी उन्हें विश्वविद्यालय में मानदेय शिक्षक के रूप में स्थायी नियुक्ति और सम्मानजनक मान्यता क्यों नहीं दी जा रही है?

“UGC ने मुझे योग्य ठहराया, फिर विवि मुझे अयोग्य क्यों?” शासनादेश कुलपति तो दूर उनके जनक मा. राष्ट्रपति’ मा. राज्यपाल भी अयोग्य नहीं ठहरा सकते क्योंकि प्रवक्ता पद के लिए योग्यता ‘NET’ उन्होंने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर हासिल की है शासनादेश या कुलपति के मर्जी का विषय नहीं है.

डॉ. मल्ल ने अपने पत्र में केंद्र सरकार के यूजीसी पत्र संख्या 58-4/2007 दिनांक 28 अगस्त 2008 को अब तक लागू क्यों नहीं किया गया मुझे कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया तत्काल जवाब दें
उन्होंने दो टूक लिखा –

“यदि मैं योग्य नहीं, तो विवि के 300 आचार्य कैसे योग्य?”

उनका कहना है कि शासनादेश में स्नातक स्तर पर अंकों की अनिवार्यता को आधार बनाकर उन्हें अयोग्य ठहराना, UGC नियमों और NET पात्रता की सीधी हत्या है। वे साफ कहते हैं कि “PG में 55% अंक और NET होना ही विश्वविद्यालय के शिक्षण हेतु पात्रता है।”

गांधीवादी विरोध, फिर भी ‘हाउस अरेस्ट’ क्यों?

डॉ. मल्ल का कहना है कि वे हर बार शांतिपूर्ण सत्याग्रह पर बैठते हैं और प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन के आधार पर आंदोलन रोक देते हैं, लेकिन न तो कार्रवाई होती है, न जवाब मिलता है। उन्होंने सवाल किया कि यदि वे संविधान के दायरे में रहकर गांधीवादी विरोध कर रहे हैं, तो उन्हें बार-बार हाउस अरेस्ट क्यों किया जाता है?

“सत्य को बोलने वाला ही बार-बार झूठ का शिकार क्यों बनता है?”
— डॉ. संपूर्णानंद मल्ल

तत्काल प्रोफेसर पद पर नियुक्ति की मांग

डॉ. मल्ल ने मांग की है कि उनकी 30 अगस्त 2003 से हुई मानदेय नियुक्ति को ही स्थायी नियुक्ति की वरिष्ठता मानते हुए विवि द्वारा प्रोफेसर पद पर उन्हें तैनात किया जाए। साथ ही, उन्होंने सरकार और UGC से अपील की है कि न्यायपूर्ण कार्रवाई कर इस प्रकरण का तत्काल निष्पक्ष समाधान किया जाए।

प्रशासनिक चुप्पी पर उठे सवाल

पत्रकारों से बात करते हुए डॉ. मल्ल ने कहा,

“हर बार ज्ञापन देकर, शांतिपूर्वक संवाद कर मैं थक चुका हूँ। आखिर न्याय कब मिलेगा जब मर जाऊंगा तब

पूर्वांचल गांधी कौन हैं?
डॉ. संपूर्णानंद मल्ल, जिन्हें पूर्वांचल गांधी के नाम से जाना जाता है, पुरातत्व’ इतिहास विषय के अध्ययन के विशेषज्ञ हैं। वे UGC-NET, JRF आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया और दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने पुरातत्व’ इतिहास ‘मानवाधिकार’ पर्यावरण’ संविधान’ कई चर्चित लेखन कार्य किए हैं, पूर्वांचल गांधी के पास 2000 पुस्तकों की अपनी निजी शांतिवन शोध पुस्तकालय है।

उनका कहना है कि वे न तो पद के लिए लड़ रहे हैं, न सत्ता के लिए, उनका संघर्ष सत्य, योग्यता’ और सम्मान की हिफाजत के लिए है

क्या अब न्याय मिलेगा?

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्यपाल, UGC, HRD मंत्रालय और विश्वविद्यालय प्रशासन उनके ज्ञापन पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या डॉ. मल्ल को न्याय मिलेगा या सत्य के मार्ग पर चलने की यह सजा आगे भी जारी रहेगी?

🔥 सम्पर्क:
डॉ. संपूर्णानंद मल्ल (पूर्वांचल गांधी)
मोबाइल: 9415418263
ईमेल: snm.190907@yahoo.co.in

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