पब्लिक की बढ़ती समस्या के लिए सरकार जिम्मेदार: अंशुमान पाण्डेय “बागी”
जनता की आवाज़, प्रशासन की लापरवाही
कुशीनगर – एक तरफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अखबारों और मीडिया में दावा कर रही है कि प्रदेश में जनसमस्याओं का समयबद्ध समाधान किया जा रहा है। इसके लिए रेवेन्यू विभाग के अधिकारियों और तहसील मजिस्ट्रेटों को निर्देशित किया गया है कि वे जनता की समस्याओं को प्राथमिकता पर हल करें।
लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। जनपद कुशीनगर में प्रशासनिक व्यवस्था की हालत दयनीय है। अंशुमान पाण्डेय “बागी” ने खुलकर कहा कि जब आम जनता तहसीलों में अपनी फरियाद लेकर आती है, तब वहीं के अधिकारी मंत्रीगण के आगमन पर “दर्शन” हेतु दौड़ पड़ते हैं। जनता घंटों लाइन में खड़ी रहती है, लेकिन सुनवाई करने वाला कोई नहीं होता।
प्रशासनिक असंवेदनशीलता चरम पर
“बागी” ने कहा कि यह विडंबना है कि एक जिले में सप्ताह में दो-दो बार मंत्री आते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य क्या होता है, यह जनता नहीं जानती। उनके आने पर एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार जैसे अधिकारी फरियादियों को छोड़कर सिर्फ दिखावे में जुट जाते हैं।
इससे प्रशासनिक कार्य बाधित होता है और आम नागरिकों को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जनता की अनसुलझी समस्याएं
किसी का दो साल से तहसील का आदेश लंबित है।
किसी की भूमि पैमाइश की फाइल धूल खा रही है।
116/24 जैसी गंभीर धाराओं में भी समय से सुनवाई नहीं हो रही।
डीएम की चुप्पी पर भी सवाल
“बागी” ने जिला अधिकारी (डीएम) पर भी सवाल उठाए कि जब अधिकारियों की गैरमौजूदगी की जानकारी बार-बार मिलती है, तब क्यों नहीं कार्रवाई होती? क्या उन्हें निर्देश नहीं देना चाहिए कि अधिकारी निर्धारित समय पर तहसील में मौजूद रहें और जनता की समस्याओं को गंभीरता से लें?
“बागी” की मांगें और सुझाव
गैरहाजिर अधिकारियों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई।
हर तहसील में जनसुनवाई का फिक्स टाइम और ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था।
मंत्रीगण के दौरे के दौरान भी तहसीलों में कार्य सुचारू रूप से चलता रहे।
अंशुमान पाण्डेय “बागी” की यह आवाज़ सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि जनपीड़ा का प्रतिनिधित्व है। यदि सरकार और प्रशासन समय रहते इस पर गंभीर कदम नहीं उठाते, तो यह अव्यवस्था जन आक्रोश का रूप ले सकती है।