कुशीनगर।
“जितना बड़ा संघर्ष, उतनी ही बड़ी सुख की अनुभूति।” यह पंक्ति भिस्वा गांव के निवासी गोबिंद खरवार के जीवन पर पूरी तरह लागू होती है। गोबिंद दो भाइयों में बड़े हैं, छोटे भाई का नाम अनिकेत खरवार है। बहुत कम उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन माँ के आँचल और अपने साहस के बल पर दोनों भाइयों ने जीवन की कठिनाइयों का सामना किया।

लगभग 26 वर्ष पूर्व मजबूर हालात में गोबिंद ने पडरौना में एक बाइक सर्विस सेंटर पर काम सीखना शुरू किया। उस समय उनके पास मात्र 3500 रुपये थे और मन में रोजगार करने का सपना। कठिन परिश्रम और लगन से उन्होंने मैकेनिक का हुनर सीखा। कई सालों तक दूसरों के यहाँ काम करके अनुभव अर्जित किया और फिर हिम्मत जुटाकर अपनी खुद की वर्कशॉप खोली।
आज गोबिंद खरवार का वर्कशॉप जिला मुख्यालय पर बाइक मालिकों का भरोसेमंद ठिकाना बन चुका है। यहाँ आने वाले ग्राहक उनके मधुर व्यवहार और गुणवत्तापूर्ण सेवा से बेहद संतुष्ट रहते हैं। उनकी मेहनत ने उन्हें न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है बल्कि समाज में एक पहचान भी दिलाई है। उनके छोटे भाई अनिकेत भी परिवार का मजबूत सहारा बने हुए हैं।
गोबिंद का कहना है कि –
“मेहनत, लगन और संघर्ष अगर दिल से किया जाए तो व्यक्ति को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। जीवन में मुश्किलें कितनी भी आएं, अगर हिम्मत न हारें तो मंजिल जरूर मिलती है।”
गोबिंद खरवार की यह कहानी आज के युवाओं के लिए एक संदेश है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत हों, आत्मविश्वास और परिश्रम से इंसान अपनी किस्मत खुद लिख सकता है।
रिपोर्ट – के. एन. साहनी, कुशीनगर