
न्यायालय का बड़ा एक्शन, डीएनए टेस्ट और पीड़िता एवं बालक की सुरक्षा पर सख्त आदेश
कुशीनगर।
थाना तरयासुजान क्षेत्र के पॉक्सो एक्ट के एक बेहद संवेदनशील मामले में पुलिस की लापरवाही उजागर हो गई है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट/अपर सत्र न्यायाधीश) दिनेश कुमार ने पुलिस और प्रशासन को सख्त फटकार लगाते हुए तत्काल डीएनए परीक्षण, वैज्ञानिक जांच और पीड़िता व उसके शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यह गंभीर मामला नाबालिग पीड़िता से जुड़ा है, जो गर्भवती हुई और अब अपने शिशु का पालन-पोषण कर रही है। इसके बावजूद विवेचक ने न तो वैज्ञानिक आधार पर डीएनए परीक्षण कराया और न ही आरोपियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत किए। न्यायालय ने इसे न्याय प्रक्रिया के साथ समझौता और शासन की मंशा के खिलाफ बताया।

गोरखपुर के एडीजी को भेजी रिपोर्ट में न्यायालय ने साफ कहा कि विवेचना का काम सिर्फ अभियोग पत्र दाखिल करना नहीं है, बल्कि ठोस साक्ष्य जुटाना और पीड़िता को न्याय दिलाना है। डीएनए परीक्षण न कराना पुलिस की गंभीर चूक है।
न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक कुशीनगर को आदेश दिया कि तुरंत डीएनए परीक्षण कराकर रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करें और अभियुक्तों पर कड़ी कार्रवाई करें। साथ ही जिलाधिकारी कुशीनगर को निर्देशित किया कि यदि शासन की कोई योजना पीड़िता व उसके शिशु की सामाजिक सुरक्षा के लिए उपलब्ध है तो उसे तत्काल लागू करें, अन्यथा अपने स्तर से पहल करते हुए सुरक्षा और सहायता उपलब्ध कराएं।
अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि देरी होने पर पीड़िता के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। यह आदेश पुलिस व प्रशासन के लिए सख्त संदेश है कि पॉक्सो जैसे मामलों में लापरवाही और ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह आदेश जिले की सुस्त पुलिसिंग और प्रशासनिक निष्क्रियता पर सीधा सवाल है और माना जा रहा है कि अब जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई तय है।