भारत में लोकतांत्रिक संवैधानिक क्रांति का आगाज़


भारत में लोकतांत्रिक संवैधानिक क्रांति का आगाज़

धरना पर बैठे पूर्वांचल गाँधी

पूर्वांचल गांधी ने मोदी की तानाशाही के खिलाफ फूंका बिगुल

17 सितम्बर को लखनऊ में गांधी-अंबेडकर प्रतिमा पर करेंगे अनिश्चितकालीन सत्याग्रह

गोरखपुर। डॉ. संपूर्णानंद मल्ल ‘पूर्वांचल गांधी’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोकतंत्र और संविधान कुचलने का गंभीर आरोप लगाते हुए लोकतांत्रिक संवैधानिक क्रांति का बिगुल फूंक दिया है। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि यदि 15 सितम्बर तक जनता को उसका “जीवन, लोकतंत्र और संविधान” वापस नहीं मिला, तो 17 सितम्बर को लखनऊ जीपीओ स्थित गांधी-अंबेडकर प्रतिमा पर सत्य-अहिंसा के बल पर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू करेंगे।

डॉ. मल्ल ने कहा कि जब सरकारी मशीनरी प्रधानमंत्री का जन्मदिन मनाने में व्यस्त होगी, तब वे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए आंदोलन का आगाज़ करेंगे। उन्होंने दो टूक कहा कि यदि हालात नहीं बदले तो 2 अक्टूबर को संसद भवन पर सत्याग्रह होगा।

पूर्वांचल गांधी ने पत्र में लिखा है कि देश का लोकतंत्र केवल वोट डालने तक सीमित कर दिया गया है, संवाद और जवाबदेही गायब है। संसद और लोकतांत्रिक संस्थानों पर अपराधियों और पूंजीपतियों का कब्ज़ा हो चुका है। उन्होंने नोटबंदी, GST, किसान बिल, NEP 2020, NRC और सरकारी संपत्तियों की बिक्री को तानाशाही फैसले करार दिया।

उन्होंने मांग की है कि विधायिका और कार्यपालिका की सदस्यता सिर्फ एक बार तक सीमित हो, ताकि भ्रष्ट और अपराधियों का कब्ज़ा टूट सके। साथ ही आटा, दाल, तेल, दूध, दवा, शिक्षा और चिकित्सा जैसी मूलभूत जरूरतों पर टैक्स खत्म करने, डीजल-पेट्रोल को ₹70 और गैस सिलेंडर को ₹500 करने की घोषणा की।

डॉ. संपूर्णानंद मल्ल का कहना है कि गांधी, भगत सिंह, अंबेडकर और एपीजे अब्दुल कलाम उनके आदर्श हैं और सत्य-अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही वे इस लोकतांत्रिक क्रांति को अंजाम देंगे।


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