बिना डिग्री इलाज करना कानूनन अपराध – संदीप कुमार मजूमदार

कुशीनगर। चिकित्सा क्षेत्र में बिना वैध डिग्री हासिल किए मरीजों का इलाज करना, इंजेक्शन लगाना या बोतल चढ़ाना कानूनन जुर्म है। यह बात रामकोला बाजार निवासी संदीप कुमार ने कही।

संदीप कुमार ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2004 में B. Pharma और वर्ष 2010 में BMYS (Bachelor of Medical & Yoga Science) की डिग्री हासिल की है। उनका कहना है कि फार्मेसी की पढ़ाई के बाद दवा वितरण और फार्मेसी प्रबंधन का अधिकार तो है, वहीं BMYS से आयुर्वेद व योग चिकित्सा की जानकारी मिलती है।
लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि –
- B. Pharma धारक केवल दवा बेच सकते हैं, इलाज या इंजेक्शन-बोतल चढ़ाना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
- BMYS धारक योग और प्राकृतिक चिकित्सा की सलाह तो दे सकते हैं, लेकिन उन्हें एलोपैथिक मरीजों का इलाज करने और नाम के आगे “डॉक्टर” लिखने का कानूनी अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि आजकल गाँव-गाँव और चौक-चौराहों पर बड़ी संख्या में झोलाछाप लोग केवल अनुभव के आधार पर खुद को “डॉक्टर” बताकर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। यहाँ तक कि कई जगह “बंगाली दवा” और “शर्तिया इलाज” के नाम से बोर्ड लगाकर मरीजों को गुमराह किया जा रहा है।
कानून की नजर में अपराध
चिकित्सा परिषद अधिनियम के अनुसार, केवल MBBS, BAMS, BHMS, BUMS या अन्य मान्यता प्राप्त डिग्री धारक ही अपने नाम के आगे Dr. लिख सकते हैं और मरीज देख सकते हैं। झोलाछाप तरीके से “डॉक्टर” लिखकर इलाज करने पर धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी) IPC और Drugs & Cosmetics Act के तहत कार्रवाई हो सकती है।
अगर ऐसे इलाज से किसी मरीज को नुकसान या मृत्यु होती है तो आरोपी पर IPC 304A (लापरवाही से मृत्यु) का भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
CMO का बयान
इस मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) कुशीनगर डॉ. बृजनंदन ने कहा कि बिना मान्यता प्राप्त डिग्री के इलाज करना या नाम के आगे डॉक्टर लिखना गैरकानूनी है। उन्होंने बताया कि विभाग लगातार निगरानी कर रहा है और जहाँ से भी इस तरह की शिकायतें मिलेंगी, वहाँ छापेमारी कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संदीप कुमार ने भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि ऐसे फर्जी डॉक्टरों पर अभियान चलाकर रोक लगाई जाए, ताकि आम जनता की जान से खिलवाड़ न हो और उन्हें सही चिकित्सा सुविधा मिल सके।
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