गोरखपुर।
पूर्वांचल गांधी के नाम से पहचान रखने वाले डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल का पुतला दहन कार्यक्रम प्रशासन के अनुरोध पर स्थगित कर दिया है।



शांतिवन शोध पुस्तकालय से जारी बयान में उन्होंने कहा कि वह सत्य के मार्ग पर चलते हुए संघर्षरत रहेंगे। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश से मिलने के लिए वह अपने साथियों के साथ कार्यालय गए थे, लेकिन अनुपस्थिति में एडीएम सिटी अंजनी सिंह से बातचीत हुई। उन्होंने सहयोग का भरोसा दिलाया।
इसी क्रम में थानाध्यक्ष शाहपुर नीरज राय द्वारा फोन कर दो दिन कार्यक्रम रोकने का अनुरोध किए जाने के बाद प्रशासन की मंशा का सम्मान करते हुए पुतला दहन कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
डॉ मल्ल ने आरोप लगाया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में यूजीसी रेगुलेशन और राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) की अनदेखी कर उनके अधिकारों का हनन किया गया है। उन्होंने मांग की कि 30 अगस्त 2003 से वरिष्ठता के आधार पर उन्हें प्रोफेसर पद पर नियुक्त किया जाए और यूजीसी नेट को अयोग्य ठहराकर प्लेजरिज्म वाली पीएचडी के आधार पर प्रोफेसर नियुक्त करना अपराध है, जिसके विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कराया जाएगा।
डॉ मल्ल ने कहा,
“जैसे गांधी ने फिरंगियों के नमक कानून को तोड़ा, वैसे ही मैं इस अन्याय को समाप्त करूंगा। यह मेरा निजी अधिकार है, जिसे कोई शासनादेश या कुलपति नहीं छीन सकता।”
उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि यदि विश्वविद्यालय के विरुद्ध सत्याग्रह की आवश्यकता पड़ी तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।
इस प्रकरण की प्रति महामहिम राज्यपाल, मुख्य सचिव, आयुक्त, एसएसपी और एसपी सिटी को भेजी गई है।