डॉ.संपूर्णानंद मल्ल की न्याय की पुकार: सत्याग्रह की घोषणा
✍️डॉ.संपूर्णानंद मल्ल, जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएच.डी. एवं यूजीसी-नेट योग्यताधारी हैं, ने अपनी चिट्ठी में डॉ. दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर (डीडीयू) प्रशासन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि योग्य होते हुए भी उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से प्रवक्ता पद से टर्मिनेट कर दिया गया, जो न केवल उनके व्यक्तिगत सम्मान और अधिकारों का हनन है, बल्कि देश के उच्च शिक्षा तंत्र की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
उनकी प्रमुख शिकायतें और मांगें:
✅टर्मिनेशन का अन्याय:
✍️डॉ.मल्ल का दावा है कि वे “प्रथम श्रेणी पीजी, यूजीसी नेट” योग्यता रखते हैं, फिर भी उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
✍️यदि वे योग्य नहीं हैं, तो विश्वविद्यालय के अन्य आचार्य भी योग्य नहीं ठहराए जाने चाहिए।
✍️विश्वविद्यालय प्रशासन ने समान आधार पर नियुक्त अन्य शिक्षकों को बनाए रखा, जबकि उन्हें टर्मिनेट कर दिया गया।
✅ न्याय की मांग:
✍️उनकी नियुक्ति तिथि 30 अगस्त 2003 को आधार मानते हुए उन्हें प्रोफेसर पद पर वरिष्ठता क्रम में नियुक्त किया जाए।
✍️शिक्षा सत्र 2003-08 का पूर्ण वेतन भुगतान किया जाए, क्योंकि उनसे स्थाई शिक्षकों की तरह प्रवेश, शिक्षण, परीक्षा, मूल्यांकन का कार्य लिया गया था।
✍️शिक्षा सत्र 2007-08 के वेतन/मानदेय का भुगतान ब्याज सहित किया जाए, क्योंकि कार्य लेने के बावजूद अनुमोदन लंबित रखा गया था।
✅सार्वजनिक अपमान और मानहानि:
✍️विश्वविद्यालय ने उनकी नियुक्ति को “तथाकथित नियुक्ति” कहकर उनकी योग्यता को कमतर साबित करने की कोशिश की।
✍️मीडिया में भी उन्हें “तथाकथित प्रोफेसर” लिखकर संबोधित किया जाने लगा, जिससे उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई।
✍️इसके लिए विश्वविद्यालय को 10 करोड़ रुपये की मानहानि क्षतिपूर्ति देनी चाहिए।
✅व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन पर प्रभाव:
✍️डॉ. मल्ल ने अपनी ज़िंदगी शिक्षा और शोध को समर्पित की थी।
✍️वे SOAS, लंदन से शोध करना चाहते थे, लेकिन टर्मिनेशन के कारण उनका करियर बर्बाद हो गया।
अब वे 60 वर्ष की आयु में अपने अतीत को खो देने की पीड़ा झेल रहे हैं।
🟣सत्याग्रह की घोषणा:
✍️डॉ. संपूर्णानंद मल्ल ने स्पष्ट किया है कि यदि 1 अप्रैल 2025 को दोपहर 2 बजे तक न्याय नहीं मिला, तो वे सत्याग्रह करने को बाध्य होंगे।
🟢सत्याग्रह के दौरान:
🟢महामहिम राज्यपाल का पुतला जलाया जाएगा।
🟢यूजीसी रेगुलेशन एवं नेट की अवहेलना के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर कानूनी कार्रवाई की मांग होगी।
🟢वे इसे संविधान के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में अदालत तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
🟢प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को चेतावनी:
🟢इस पत्र की प्रति निम्नलिखित उच्चाधिकारियों को भेजी गई है:
✅ महामहिम राष्ट्रपति
महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति, उत्तर प्रदेश,
✅माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री,
✅ माननीय प्रति कुलपति, डीडीयू विश्वविद्यालय,
✅माननीय डीन ऑफ आर्ट्स, डीडीयू विश्वविद्यालय,
✅श्रीमान कुलसचिव, डीडीयू विश्वविद्यालय,
✅श्रीमान आयुक्त, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गोरखपुर,
✅श्रीमान ADM सिटी, सिटी मजिस्ट्रेट, SDM सिटी गोरखपुर,
✅श्रीमान SP, DSP इंटेलिजेंस,
✍️डॉ.मल्ल का यह संघर्ष केवल उनकी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता, योग्यता-आधारित चयन प्रणाली और समान अवसरों के सिद्धांत की रक्षा का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। उनकी मांगें न्यायसंगत प्रतीत होती हैं, और प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। यदि वे सत्याग्रह करने को मजबूर होते हैं, तो यह विश्वविद्यालय प्रशासन की असफलता का प्रतीक होगा।
अब यह देखना होगा कि डीडीयू विश्वविद्यालय एवं प्रशासन उनकी मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देता है, या फिर यह संघर्ष एक व्यापक आंदोलन का रूप ले लेगा।