अधिवक्ता अधिनियम 2025 के विरोध में हड़ताल पर रहे वकील, फरियादियों को हुई परेशानी
कुशीनगर।
ऑल इंडिया बार काउंसिल और उत्तर प्रदेश बार एसोसिएशन के आह्वान पर आज जनपद कुशीनगर के सभी तहसीलों में अधिवक्ताओं ने कलम बंद हड़ताल की। अधिवक्ता अधिनियम 2025 के विरोध में हो रही इस हड़ताल से न्यायालय का कार्य पूरी तरह ठप रहा, जिससे दूर-दराज से आए फरियादियों को मायूसी हाथ लगी।
जनपद के अधिवक्ताओं में इस नए अधिनियम को लेकर गहरा आक्रोश देखने को मिला। अधिवक्ताओं ने इसे वकालत पेशे पर सीधा हमला बताते हुए केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन कर रहे वकीलों ने मौजूदा सरकार की तुलना ब्रिटिश हुकूमत से करते हुए कहा कि यह कानून उनके अधिकारों और स्वतंत्रता को सीमित करने का प्रयास है।
अधिवक्ताओं का बयान
इस दौरान अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष विनोद सिंह पटेल ने कहा,
“यह कानून अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है। सरकार हमें दबाने और हमारे अधिकारों को सीमित करने की कोशिश कर रही है। लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे और जब तक यह काला कानून वापस नहीं लिया जाता, हमारा विरोध जारी रहेगा।”
प्रभावित रहे न्यायिक कार्य
अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते तहसील और जिला न्यायालयों में मामलों की सुनवाई ठप रही। कई जरूरी मुकदमों की तारीख आगे बढ़ा दी गई, जिससे आम जनता को काफी असुविधा हुई। खासतौर पर जमानत और जरूरी दस्तावेजों के प्रमाणन से जुड़े मामलों को लेकर आए फरियादी निराश होकर लौट गए।
सरकार के खिलाफ आक्रोश
प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ताओं ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही इस अधिनियम को वापस नहीं लिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
क्या है अधिवक्ता अधिनियम 2025?
अधिवक्ताओं का कहना है कि इस नए कानून के तहत कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जो उनके अधिकारों को सीमित करने वाले हैं। इसके तहत वकालत के पेशे में अनुशासन के नाम पर कई कठोर नियम लागू किए जा रहे हैं, जिससे उनकी स्वायत्तता प्रभावित होगी।
आगे की रणनीति
बार काउंसिल ऑफ इंडिया और उत्तर प्रदेश बार एसोसिएशन के निर्देशों के अनुसार अधिवक्ता संघ ने यह साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। आने वाले दिनों में आंदोलन को और व्यापक करने की रणनीति तैयार की जा रही है।
रिपोर्ट:के एन साहनी
कुशीनगर