पूर्व सांसद वीरांगना फूलन देवी के गांव पहुंचे मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद, दिया शोषितों और पीड़ितों को बड़ा संदेश

 

मोस्ट निर्देश श्याम लाल निषाद पहुंचे वीरांगना फूलन देवी के गांव

 

पूर्व सांसद वीरांगना फूलन देवी के गांव पहुंचे मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद, दिया शोषितों और पीड़ितों को बड़ा संदेश

जालौन। सामाजिक न्याय और अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद अपनी टीम के साथ पूर्व सांसद वीरांगना फूलन देवी के पैतृक गांव गुढ़ा का पुरवा, कालपी, जालौन पहुंचे। इस दौरान उन्होंने वहां की भौगोलिक परिस्थितियों और सामाजिक विकास का गहराई से अवलोकन किया।

अन्याय के खिलाफ उठी आवाज को न दबने दें – मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद

मीडिया से बातचीत में मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद ने कहा कि फूलन देवी न सिर्फ एक नाम थीं, बल्कि वो शोषितों और पीड़ितों की आवाज भी थीं। उन्होंने अपने संघर्ष से यह साबित किया कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले कभी कमजोर नहीं होते। उन्होंने आगे कहा—

“हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने हक के लिए संघर्ष करें और किसी भी अन्याय के आगे न झुकें। समाज के वंचित वर्ग को शिक्षा और अधिकारों का ज्ञान होना जरूरी है, ताकि वे किसी के शोषण का शिकार न बनें।”

फूलन देवी के गांव की स्थिति और विकास पर मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद का विचार

मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद और उनकी टीम ने देखा कि वीरांगना फूलन देवी के पैतृक गांव में अभी भी विकास की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इतने बड़े संघर्ष और बलिदान के बावजूद, यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव चिंताजनक है।

“यह जगह वीरांगना फूलन देवी की कर्मभूमि रही है। सरकार को चाहिए कि यहां की आधारभूत सुविधाओं को और मजबूत किया जाए, ताकि यह स्थान प्रेरणा का केंद्र बन सके।”

मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद ने की ऐतिहासिक स्मारक बनाने की मांग

उन्होंने सरकार से मांग की कि गुढ़ा का पुरवा में वीरांगना फूलन देवी के नाम पर एक ऐतिहासिक स्मारक और सामाजिक न्याय केंद्र स्थापित किया जाए, जिससे उनके संघर्ष की गाथा आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचे।

“फूलन देवी केवल एक महिला नहीं थीं, वे एक विचार थीं, जो हमें अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देती हैं। उनकी याद को सहेजना हमारा कर्तव्य है।”

समाज के वंचितों को आगे बढ़ाने का संकल्प

मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल निषाद ने अंत में कहा कि वे और उनकी टीम समाज के शोषित और पीड़ित वर्ग के उत्थान के लिए हमेशा खड़े रहेंगे। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे शिक्षा को हथियार बनाकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें और समाज में समानता स्थापित करने का प्रयास करें।

यह दौरा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज के वंचित तबके को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।

सच्ची रिपोर्ट
संपादक के एन साहनी

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