गरीबों के उत्थान में बाधा बन रहे बैंक कर्मचारी जिलाधिकारी करें सख्त कार्यवाही ।
गोरखपुर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत बैंकों को गांवों से जोड़ा गया है। लेकिन इन योजनाओं का सही लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसका कारण बैंक कर्मचारियों की लापरवाही और कमीशनखोरी बताई जा रही है।
योग्य व्यक्तियों को ऋण से वंचित किया जा रहा है
ग्रामीण क्षेत्रों में कई मेहनती और जरूरतमंद लोग स्वरोजगार के लिए बैंक से ऋण लेना चाहते हैं, लेकिन बैंक कर्मचारी उन्हें अनदेखा कर रहे हैं। जबकि कुछ गिने-चुने लोगों को, जो बैंक कर्मचारियों को कमीशन देने में सक्षम हैं, आसानी से ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। बाद में यही लोग बैंक को धोखा देकर कर्ज नहीं चुकाते, जिससे बैंकिंग प्रणाली पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सरकार की योजनाओं पर बैंक कर्मचारियों की मनमानी भारी
सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, स्टैंड अप इंडिया योजना आदि के तहत स्वरोजगार बढ़ाने के लिए बैंकों को विशेष निर्देश दिए हैं। लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन में बैंक अधिकारी खुद ही बाधा बन रहे हैं। जिन्हें सबसे पहले लोन मिलना चाहिए, वे बैंक कर्मचारियों की अनदेखी और मनमानी का शिकार हो रहे हैं।
जिलाधिकारी से कार्रवाई की मांग
जनता का विकास सरकार चाहती है, अधिकारी इसकी निगरानी भी करते हैं, लेकिन बैंकों में गरीबों को ऋण मिलने की स्थिति अब भी निराशाजनक है। इस गंभीर मुद्दे को देखते हुए जिले के जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज से मांग की जा रही है कि वे इस विषय पर ध्यान दें और बैंक कर्मचारियों की कार्यशैली की जांच कराएं।
बैंकों की जवाबदेही तय हो
अगर बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता नहीं आई तो सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएंगी। जरूरतमंदों को ऋण दिलाने के लिए जिलाधिकारी को विशेष टीम गठित कर निगरानी रखनी चाहिए और भ्रष्टाचार में लिप्त बैंक अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।