गरीबों की झुग्गियों पर बुलडोजर कार्रवाई के विरोध में पूर्वांचल गांधी डॉ. सम्पूर्णानंद मल्ल ने दाखिल की जनहित याचिका, बोले — गरीबों का भी है संविधान में बराबर का हक
नई दिल्ली।
देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ महीनों से गरीबों की बस्तियों और झुग्गियों पर बुलडोजर चलाए जाने के खिलाफ पूर्वांचल गांधी डॉ. सम्पूर्णानंद मल्ल ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने गरीबों की आवाज बनते हुए इस मुद्दे को सीधे माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दरवाजे तक पहुँचाया और तत्काल बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने की माँग की है।

डॉ. मल्ल ने अपनी याचिका में स्पष्ट किया है कि दिल्ली जैसे महानगर में हज़ारों गरीब मजदूर, दिहाड़ी कमाने वाले और निम्न वर्ग के लोग वर्षों से झुग्गियों में रहकर अपना जीवन चला रहे हैं। ऐसे में बिना वैकल्पिक व्यवस्था के उन्हें उजाड़ देना, उनके जीवन के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है।
डॉ. मल्ल ने मीडिया से बातचीत में कहा — “देश का संविधान हर नागरिक को समान अधिकार देता है। विकास के नाम पर गरीबों के आशियाने उजाड़ना विकास नहीं, विनाश है। अगर सरकारें चाहें तो पुनर्वास की उचित व्यवस्था कर सकती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि जब ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो प्रधानमंत्री आवास समेत कई बड़े सरकारी भवनों की ज़मीन पर भी विदेशी हुकूमत का कब्जा था। फिर गरीबों की झुग्गियों को ही निशाना क्यों बनाया जाता है?
डॉ. मल्ल ने अदालत से माँग की है कि जब तक पुनर्वास की स्पष्ट योजना तैयार नहीं होती, तब तक किसी भी गरीब बस्ती पर बुलडोजर न चले। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी माँगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो वे संविधान और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए राष्ट्रव्यापी जनजागरण और सत्याग्रह शुरू करेंगे।
उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से भी अपील की कि गरीबों के जीवन और सम्मान की रक्षा करें और विकास के नाम पर दोहरे मानदंड न अपनाएँ।
डॉ. मल्ल ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे स्वयं अपनी जान की बाजी लगाकर गरीबों के अधिकारों की रक्षा करेंगे। उन्होंने मीडिया से भी अपील की कि इस आवाज़ को जनता तक निष्पक्षता से पहुँचाया जाए ताकि कोई गरीब अन्याय का शिकार न हो।
रिपोर्टर : के एन साहनी, न्यू दिल्ली