कलयुगी बेटे-बहू की लड़ाई ने छीन लिया बुजुर्ग माता-पिता का चैन, पिता बीरेंद्र मिश्रा की बेबसी देख हर कोई रो देगा


कलयुगी बेटे-बहू की लड़ाई ने छीन लिया बुजुर्ग माता-पिता का चैन, पिता बीरेंद्र मिश्रा की बेबसी देख हर कोई रो देगा

कुशीनगर।
थाना कसया क्षेत्र के ग्रामसभा दीना पट्टी के एक ब्राह्मण परिवार की कहानी आज हर किसी को झकझोर रही है। उम्र के इस पड़ाव पर जब माँ-बाप को अपने बेटे और बहू के सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब वही उनकी दुखद कहानी के मुख्य पात्र बन गए हैं।

पीड़ित बाप बीरेंद्र मिश्रा

ग्राम दीना पट्टी निवासी बीरेंद्र मिश्रा पुत्र स्वर्गीय रामजी मिश्रा ने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं — दो बेटियाँ और एक बेटा। बेटियाँ अपने परिवार में खुश हैं, लेकिन इकलौते बेटे धर्मेन्द्र मिश्रा ने उनका जीना मुहाल कर दिया है।

शादी के बाद दरक गया घर का सुख

बीरेंद्र मिश्रा ने बेटे धर्मेन्द्र की शादी वर्ष 2017 में देवरिया जनपद के पिपरा गाँव निवासी तरुण मिश्रा की बेटी माधुरी मिश्रा से कराई थी। शादी के बाद एक बेटा भी हुआ। मगर कुछ ही सालों में धर्मेन्द्र ने अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ लिया और दूसरी महिला से संबंध बनाकर परिवार को बिखेर दिया।

पत्नी ने ठोका मुकदमा, अदालत ने जारी किया कुर्की आदेश

पत्नी माधुरी ने कोर्ट में परिवाद दाखिल कर दिया। summons, नोटिस, वारंट, NBW के बाद अब मकान की कुर्की तक का आदेश हो गया है। सवाल यह है कि जब धर्मेन्द्र के नाम कोई संपत्ति नहीं है तो कुर्की किसकी? बुजुर्ग बीरेंद्र मिश्रा का कहना है कि मकान उनकी मेहनत की कमाई का है, बेटे ने कभी कुछ नहीं बनाया।

पुलिस दबिश ने बढ़ाई जिल्लत

धर्मेन्द्र को गिरफ्तार करने पहुँची कसया पुलिस ने बीरेंद्र मिश्रा से अभद्र व्यवहार भी किया। इस घटना से गाँव में चर्चा है कि बेटे-बहू की लड़ाई ने माँ-बाप को सड़क पर ला दिया है। पिता बीरेंद्र मिश्रा की हालत सुन हर कोई दुखी है — वह बार-बार यही कहते हैं, “जिस बेटे ने सुख न दिया, उसी के नाम पर हम अपमान झेल रहे हैं।”

छोटी बेटी ही सेवा में लगी

माँ-बाप की सेवा में अब छोटी बेटी दिन-रात जुटी है। वही रोटी-पानी और इलाज की जिम्मेदारी उठा रही है। गाँव वाले भी कहते हैं कि बहू को सास-ससुर को कोर्ट के चक्कर से आज़ाद करना चाहिए।

समाधान — पश्चाताप और माफी से लौट सकती है खुशहाली

गाँव में चर्चा है कि अगर धर्मेन्द्र अपनी पहली पत्नी और बेटे को लेकर माँ-बाप के चरणों में गिरकर क्षमा माँग ले और माधुरी अपनी गलती मानकर मुकदमा वापस ले ले, तो बिखरा परिवार फिर से जुड़ सकता है। बुजुर्ग बीरेंद्र मिश्रा का दिल भी पिघल सकता है और इस घर में फिर से खुशियों की बगिया खिल सकती है।

समाज को संदेश

इस घटना से समाज को सीख लेनी चाहिए कि बेटा-बहू की आपसी लड़ाई में बुजुर्ग माता-पिता को कभी बीच में न घसीटा जाए। गाँव पंचायत और रिश्तेदारों को भी चाहिए कि ऐसे मामलों में पहल कर सुलह कराएँ।


📌 रिपोर्ट: के. एन. साहनी

📍 कुशीनगर


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