
पूर्वांचल गांधी की पुकार: “सत्य को दबाकर झूठ को क्यों संरक्षित किया जा रहा है?”
रिपोर्ट: विशेष संवाददाता
स्थान: गोरखपुर
पूर्वांचल गांधी के नाम से चर्चित डॉ. संपूर्णानंद मल्ल ने 6 जून 2025 को महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश को एक पत्र लिखकर अपने शैक्षणिक और नैतिक संघर्ष की दुबारा याद दिलाई है। उन्होंने सवाल उठाया है कि जब उनके पास UGC NET, JRF और पीएचडी जैसी योग्यताएं हैं, तब भी उन्हें विश्वविद्यालय में मानदेय शिक्षक के रूप में स्थायी नियुक्ति और सम्मानजनक मान्यता क्यों नहीं दी जा रही है?
“UGC ने मुझे योग्य ठहराया, फिर विवि मुझे अयोग्य क्यों?”
डॉ. मल्ल ने अपने पत्र में केंद्र सरकार के यूजीसी पत्र संख्या 58-4/2007 दिनांक 28 अगस्त 2008 का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा मानदेय प्रवक्ता के रूप में कार्यरत रहने का अनुमोदन दिया गया था। इसके बावजूद विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन उनकी नियुक्ति की अनदेखी कर रहा है।
उन्होंने दो टूक लिखा –
“यदि मैं योग्य नहीं, तो विवि के 300 आचार्य कैसे योग्य?”
उनका कहना है कि शासनादेश में स्नातक स्तर पर अंकों की अनिवार्यता को आधार बनाकर उन्हें अयोग्य ठहराना, UGC नियमों और NET पात्रता की सीधी हत्या है। वे साफ कहते हैं कि “PG में 55% अंक और NET होना ही विश्वविद्यालय के शिक्षण हेतु पात्रता है।”
गांधीवादी विरोध, फिर भी ‘हाउस अरेस्ट’ क्यों?
डॉ. मल्ल का कहना है कि वे हर बार शांतिपूर्ण सत्याग्रह पर बैठते हैं और प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन के आधार पर आंदोलन रोक देते हैं, लेकिन न तो कार्रवाई होती है, न जवाब मिलता है। उन्होंने सवाल किया कि यदि वे संविधान के दायरे में रहकर गांधीवादी विरोध कर रहे हैं, तो उन्हें बार-बार हाउस अरेस्ट क्यों किया जाता है?
“सत्य को बोलने वाला ही बार-बार झूठ का शिकार क्यों बनता है?”
— डॉ. संपूर्णानंद मल्ल
सम्मानजनक नियुक्ति और न्याय की मांग
डॉ. मल्ल ने मांग की है कि उनकी 30 अगस्त 2003 से हुई मानदेय नियुक्ति को ही स्थायी नियुक्ति की वरिष्ठता मानते हुए विवि द्वारा प्रोफेसर पद पर उन्हें तैनात किया जाए। साथ ही, उन्होंने सरकार और UGC से अपील की है कि न्यायपूर्ण कार्रवाई कर इस प्रकरण का निष्पक्ष समाधान किया जाए।
प्रशासनिक चुप्पी पर उठे सवाल
पत्रकारों से बात करते हुए डॉ. मल्ल ने कहा,
“हर बार ज्ञापन देकर, शांतिपूर्वक संवाद कर मैं थक चुका हूँ। अब न्याय तभी मिलेगा जब मैं मर जाऊँगा?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि विश्वविद्यालय प्रशासन, कुछ प्रभावशाली कुलपतियों और स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से योग्यता के बावजूद भी उन्हें दरकिनार किया गया है।
पूर्वांचल गांधी कौन हैं?
डॉ. संपूर्णानंद मल्ल, जिन्हें पूर्वांचल गांधी के नाम से जाना जाता है, इतिहास और पर्यावरण अध्ययन के विशेषज्ञ हैं। वे UGC-NET, JRF उत्तीर्ण, ASI से संबद्ध हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने मानवाधिकार, पर्यावरण और भारतीय इतिहास पर कई चर्चित लेखन कार्य किए हैं।
उनका कहना है कि वे न तो पद के लिए लड़ रहे हैं, न सत्ता के लिए, बल्कि सत्य, योग्यताओं और सम्मान के लिए आवाज उठा रहे हैं।
क्या अब न्याय मिलेगा?
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्यपाल, UGC, HRD मंत्रालय और विश्वविद्यालय प्रशासन उनके ज्ञापन पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या डॉ. मल्ल को न्याय मिलेगा या सत्य के मार्ग पर चलने की यह सजा आगे भी जारी रहेगी?
🔥 सम्पर्क:
डॉ. संपूर्णानंद मल्ल (पूर्वांचल गांधी)
मोबाइल: 9415418263
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